ईश्वर की इच्छा (Ishwar Ki Ichha)

गाँव के सबसे साधारण किसान रामू की ज़िंदगी में एक दिन ऐसा मोड़ आया, जिसे उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। वह अपनी दिनचर्या के अनुसार खेतों में काम कर रहा था, जब अचानक एक बुरी खबर आई। उसके खेत में बाढ़ आ गई थी और उसकी मेहनत से उगाई गई फसल बह गई। रामू के पास कोई और रास्ता नहीं था, लेकिन एक पुरानी कहावत थी, "ईश्वर जो करता है, वह हमारे भले के लिए करता है"। क्या रामू की यह कहावत अब सच साबित होने वाली थी? क्या भगवान के पास रामू के लिए कोई योजना थी?


ईश्वर की इच्छा (Ishwar Ki Ichha)

ईश्वर की इच्छा (Ishwar Ki Ichha)


रामू एक छोटा किसान था, जो अपने परिवार का पालन-पोषण अपनी मेहनत से करता था। उसका जीवन बहुत साधारण था, लेकिन वह अपनी छोटी सी ज़िंदगी में खुश था। वह हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करता था, और अपनी मेहनत से कृषि करता था। उसके पास एक छोटा सा खेत था, जहाँ वह रुक-रुक कर काम करता था और दिन-रात अपने खेत की देखभाल करता था।

एक दिन, जब रामू खेत में काम कर रहा था, उसने आकाश में बदलते बादल देखे। उसे कोई शक था कि भारी बारिश होने वाली है, लेकिन उसे यह उम्मीद भी थी कि वह बारिश उसकी फसलों के लिए फायदेमंद होगी। वह खुश था और भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि बारिश उसकी मेहनत को फल दे।

लेकिन अचानक, बारिश का रुख बदला। बहुत तेज बारिश हुई और बाढ़ आ गई। रामू ने अपनी आँखों से देखा कि उसकी मेहनत से उगाई गई फसल धीरे-धीरे बहने लगी। उसका खेत पूरी तरह से पानी में डूब गया था। रामू का दिल टूट गया, और वह कड़ी मेहनत के बावजूद अपनी फसलों को बचा नहीं पाया।

वह सोचने लगा, "मैंने इतनी मेहनत की, फिर भी क्यों यह हुआ? क्या मैंने कुछ गलत किया?" और फिर उसे याद आई एक पुरानी कहावत जो उसकी दादी ने हमेशा कही थी, "ईश्वर जो करता है, वह हमारे भले के लिए करता है।" लेकिन अब, रामू को यह समझना मुश्किल हो रहा था कि बाढ़ और फसलों का नष्ट होना किस तरह से उसके लिए भला हो सकता था।

रामू ने भगवान से विनती की, "हे भगवान, अगर यह तुम्हारी इच्छा है, तो मुझे समझाओ कि यह सब क्यों हुआ।" वह बैठकर आँसू बहाता रहा और भगवान से सही रास्ता दिखाने की प्रार्थना करता रहा।

कुछ दिन बाद, रामू को एक समाचार मिला कि पास के शहर में एक बड़ा व्यापारिक मेला हो रहा था और वहाँ किसानों के लिए एक बड़ी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी। जो किसान अपनी फसल को सबसे अच्छे तरीके से प्रदर्शित करेगा, उसे एक बड़ा पुरस्कार मिलेगा। रामू ने सोचा कि उसकी फसल तो अब बर्बाद हो चुकी है, लेकिन फिर भी वह भगवान की इच्छा पर विश्वास करता हुआ, मेले में भाग लेने का निर्णय लिया।

जब रामू मेले में पहुँचा, तो वहाँ हर किसी के पास नई और बेहतरीन फसल थी। लेकिन रामू के पास कुछ नहीं था। उसने सोचा कि शायद भगवान का रास्ता यही है कि वह इस मेले में किसी प्रकार का पुरस्कार न जीत सके, लेकिन फिर एक चमत्कार हुआ। मेले में आयोजकों ने देखा कि रामू ने अपने खेत में बर्बाद हुई फसल से विभिन्न उत्पाद तैयार किए थे, जैसे कि जैविक खाद, बीज, और अन्य सामान जो किसानों के लिए उपयोगी हो सकते थे। उन्होंने रामू को देखा और उसकी मेहनत और नवाचार की सराहना की। आयोजकों ने उसे विशेष पुरस्कार दिया और कहा, "आपने अपनी मुश्किलों को अवसर में बदला है। यही सच्ची सफलता है।"

रामू ने महसूस किया कि ईश्वर की इच्छा से ही वह रास्ता सामने आया था। अगर बाढ़ न आती, तो वह कभी भी इन उत्पादों को तैयार नहीं करता और कभी भी इस प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाता। उसकी मेहनत, धैर्य और विश्वास ने उसे ईश्वर की इच्छा से जुड़ा एक नया रास्ता दिखाया।

रामू ने अब भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास को और भी मजबूत कर लिया। उसने सीखा कि कभी भी परिस्थितियों से निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि हर कठिनाई के पीछे एक बड़ा उद्देश्य छिपा हो सकता है।


कहानी का सारांश:

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी भी कठिन परिस्थितियों से निराश नहीं होना चाहिए। भगवान के रास्ते पर विश्वास रखते हुए हमें अपने कार्य को ईमानदारी से करना चाहिए। रामू की कहानी यह दर्शाती है कि भगवान की इच्छा हमारे लिए सबसे अच्छा रास्ता दिखाती है, और हमें जीवन की चुनौतियों का सामना धैर्य और विश्वास के साथ करना चाहिए। जब हम कठिनाईयों का सामना करते हैं, तो ईश्वर हमारे लिए नए अवसर उत्पन्न करते हैं।