रहस्यमयी स्त्री और महादेव का आशीर्वाद (Rahasymayi Stree Aur Mahadev Ka

रात के तीसरे पहर में शिव मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घंटियों की आवाज़ ने समस्त वातावरण को रहस्यमय बना दिया था। चंद्रमा अपनी शीतल चांदनी बिखेर रहा था, और मंद-मंद बहती हवा में एक अद्भुत शांति थी। अचानक, मंदिर के द्वार पर एक रहस्यमयी स्त्री प्रकट हुई। उसकी आँखों में अनोखी चमक थी, मानो वह कोई साधारण स्त्री न होकर दिव्य शक्ति से युक्त हो। उसकी साड़ी के किनारे शिव के त्रिशूल की आकृति बनी हुई थी। वह सीधी शिवलिंग के सामने जाकर खड़ी हो गई, और एक गहरी सांस लेते हुए बोली, "महादेव, क्या आप मेरी प्रार्थना सुन रहे हैं?"

महिला का रहस्य

रहस्यमयी स्त्री और महादेव का आशीर्वाद (Rahasymayi Stree Aur Mahadev Ka


गांव के लोग अक्सर इस स्त्री को मंदिर में आते-जाते देखते थे, परंतु कोई नहीं जानता था कि वह कौन थी और कहां से आई थी। उसकी आंखों में अपार भक्ति थी, लेकिन उसके चेहरे पर एक अनकही पीड़ा भी झलकती थी।

एक दिन गांव के पुजारी ने उससे पूछ ही लिया, "बेटी, तुम कौन हो? और हर रोज़ इतनी रात को अकेले मंदिर क्यों आती हो?"

स्त्री ने हल्की मुस्कान के साथ उत्तर दिया, "मैं महादेव की भक्त हूँ, बस उनका सानिध्य पाने आती हूँ।"

पर पुजारी को उसकी बातों से संतोष नहीं हुआ। उसे आभास हो रहा था कि इस महिला की कहानी साधारण नहीं, बल्कि कुछ असाधारण है।

महादेव की परीक्षा

एक रात जब पुजारी मंदिर में आरती कर रहे थे, तभी अचानक मंदिर के अंदर तेज़ रोशनी फैल गई। चारों ओर गूंज उठी शिव मंत्रों की ध्वनि। पुजारी ने घबराकर चारों ओर देखा, तभी वह स्त्री मंदिर में प्रवेश करती दिखाई दी। परंतु इस बार उसकी आँखों में आंसू थे।

"महादेव, आप मेरी परीक्षा क्यों ले रहे हैं?" उसने शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए कहा।

तभी एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ, और मंदिर के अंदर महादेव की दिव्य उपस्थिति का आभास हुआ। मंदिर की दीवारों पर शिव तांडव की छवियां स्पष्ट रूप से दिखने लगीं। सभी भक्त आश्चर्यचकित हो गए।

महादेव की गूंजती वाणी सुनाई दी, "हे देवी, तुम्हारी परीक्षा समाप्त हुई। अब तुम्हें तुम्हारे पिछले जन्म का स्मरण होगा।"

पिछले जन्म की सच्चाई

जैसे ही महादेव की कृपा दृष्टि उस स्त्री पर पड़ी, उसकी आँखों में एक चमक आई और उसे अपने पूर्व जन्म की स्मृतियां लौट आईं।

वह कोई साधारण स्त्री नहीं थी, बल्कि पिछले जन्म में एक शिव भक्त थी, जिसने कठोर तपस्या करके महादेव से वरदान मांगा था कि अगले जन्म में भी वह शिव की भक्ति कर सके।

लेकिन जन्म लेने के बाद वह इस सत्य को भूल गई थी, और अब महादेव ने स्वयं उसे उसकी पहचान लौटा दी थी।

महिला की आँखों से आंसू बहने लगे, परंतु अब वह आंसू दर्द के नहीं, बल्कि आनंद और भक्ति के थे।

महादेव का आशीर्वाद

महादेव ने कहा, "तुमने मेरे प्रति जो अटूट श्रद्धा रखी, मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूँ कि इस जन्म में भी तुम मेरी सबसे प्रिय भक्त बनी रहोगी। अब जाओ और लोगों को मेरी भक्ति का मार्ग दिखाओ।"

महिला ने शिवलिंग के चरणों में शीश झुकाया और कहा, "हे महादेव, आप साक्षात करुणा के सागर हैं। मैं आपकी भक्ति में जीवन अर्पण करती हूँ।"

उस दिन के बाद वह महिला गांव में भक्ति का संदेश फैलाने लगी, और उसकी प्रेरणा से कई लोग शिव की उपासना करने लगे।

कहानी का सारांश

यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती। अगर मन में श्रद्धा और विश्वास हो, तो महादेव अवश्य अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं।