अर्जुन ने अपनी दादी से बचपन में एक कहानी सुनी थी। वह कहानी एक ऐसी सुरंग के बारे में थी, जो कभी खत्म नहीं होती। दादी ने कहा था, "बेटा, यह सुरंग किसी अंतहीन रहस्य की तरह है। जो भी अंदर गया, वह कभी वापस नहीं आया।"
उस दिन के बाद से, अर्जुन के मन में उस सुरंग को ढूँढने की इच्छा जाग गई। वह अब एक युवा इतिहासकार बन चुका था, और उसकी जिज्ञासा उसे एक पुराने नक्शे तक ले आई। नक्शे पर एक जगह पर एक लाल निशान बना हुआ था, और उसके पास लिखा था, "अंतहीन सुरंग।"
अर्जुन ने अपना बैग उठाया और उस जगह की ओर चल पड़ा। जैसे ही वह सुरंग के प्रवेश द्वार के पास पहुँचा, उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। सुरंग के अंदर अंधेरा था, लेकिन कहीं दूर से एक हल्की सी रोशनी दिखाई दे रही थी। अर्जुन ने अपना टॉर्च जलाया और अंदर कदम रखा।
जैसे ही वह अंदर गया, सुरंग का दरवाजा पीछे से बंद हो गया। अर्जुन ने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन अब कोई रास्ता नहीं था। वह फंस चुका था। तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी, "चलो, अर्जुन। तुम्हारी यात्रा अभी शुरू हुई है।"
अर्जुन ने अपने आप को सँभाला और आगे बढ़ने का फैसला किया। सुरंग की दीवारों पर प्राचीन नक्काशी थी, जो किसी अज्ञात सभ्यता की कहानी कह रही थी। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा, और हर कदम के साथ उसे लगा जैसे वह किसी और ही दुनिया में प्रवेश कर रहा है।
कुछ देर बाद, उसे एक विशाल कक्ष दिखाई दिया। कक्ष के बीच में एक पत्थर की मेज थी, और उस पर एक पुरानी किताब रखी हुई थी। अर्जुन ने किताब को उठाया और उसके पन्ने पलटने लगा। किताब में एक ऐसी भाषा में लिखा हुआ था, जो उसने पहले कभी नहीं देखी थी। लेकिन अचानक, किताब के पन्ने खुद-ब-खुद पलटने लगे, और एक चमकती हुई रोशनी ने पूरे कक्ष को भर दिया।
अर्जुन ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और जब वह उन्हें खोला, तो वह खुद को एक अलग ही दुनिया में पाया। वह एक प्राचीन शहर में था, जहाँ लोग अजीबोगरीब कपड़े पहने हुए थे। उसे लगा जैसे वह समय में पीछे चला गया हो।
तभी एक बूढ़े व्यक्ति ने उसकी ओर देखा और कहा, "तुम अंतहीन सुरंग के यात्री हो। तुम्हारी यात्रा अभी शुरू हुई है। तुम्हें कई रहस्यों का सामना करना पड़ेगा, और तुम्हें अपने डर को पार करना होगा।"
अर्जुन ने पूछा, "मैं यहाँ क्यों हूँ? मैं वापस कैसे जाऊँगा?"
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम यहाँ इसलिए हो क्योंकि तुमने सच्चाई की तलाश की। वापस जाने का रास्ता तुम्हें खुद ढूँढना होगा। लेकिन याद रखो, हर रहस्य का जवाब तुम्हारे अंदर ही छुपा है।"
अर्जुन ने बूढ़े व्यक्ति की बातों को गंभीरता से लिया। उसे समझ आ गया कि यह सुरंग कोई साधारण जगह नहीं थी, बल्कि उसकी अपनी मानसिकता और भावनाओं का प्रतिबिंब थी। हर कदम पर उसे अपने डर, संदेह और अतीत के साथ सामना करना पड़ रहा था।
अर्जुन ने प्राचीन शहर में घूमना शुरू किया। वहाँ उसे कई लोग मिले, जो उसके अपने जीवन से जुड़े थे। उसने अपने बचपन के दोस्त को देखा, जिससे वह बहुत पहले बिछड़ गया था। उसने अपने पिता को देखा, जो उसे हमेशा समझदारी और साहस की सीख देते थे। हर व्यक्ति ने उसे एक नया सबक सिखाया।
कुछ समय बाद, अर्जुन ने महसूस किया कि वह खुद को बेहतर तरीके से समझने लगा है। उसे एहसास हुआ कि उसके डर और संदेह उसकी अपनी सोच का हिस्सा थे, और उन्हें पार करने की शक्ति भी उसी के अंदर थी।
अंत में, अर्जुन एक विशाल दरवाजे के सामने पहुँचा। दरवाजे पर लिखा था, "अपने अंदर झाँको, और तुम्हें रास्ता मिल जाएगा।" अर्जुन ने अपनी आँखें बंद कीं और गहरी साँस ली। उसने अपने मन की आवाज़ सुनी, जो उसे बता रही थी कि वह सुरंग से बाहर निकल सकता है।
जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं, वह खुद को सुरंग के प्रवेश द्वार पर पाया। सुरंग का दरवाजा खुला हुआ था, और बाहर सुबह की रोशनी फैल रही थी। अर्जुन ने सुरंग से बाहर कदम रखा और अपने गाँव की ओर चल पड़ा।
गाँव वाले उसे देखकर हैरान रह गए। उन्होंने पूछा, "अर्जुन, तुम कहाँ थे? हमने सोचा तुम कभी वापस नहीं आओगे।"
अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं एक ऐसी यात्रा पर गया था, जिसने मुझे खुद को समझना सिखाया। अब मैं जानता हूँ कि हर रहस्य का जवाब हमारे अंदर ही छुपा होता है।"
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