चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था। घड़ी की सुइयां आधी रात का संकेत दे रही थीं। मंदिर के विशाल प्रांगण में सन्नाटा पसरा था, केवल हवा के झोंकों की सरसराहट सुनाई दे रही थी।
राघव का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसे विश्वास था कि वह यहाँ अकेला नहीं है। मंदिर की दीवारों पर टंगे दीपक मंद-मंद जल रहे थे, और वहाँ की अदृश्य शक्ति उसे महसूस हो रही थी।
उसे याद आया कि गाँव के बुजुर्गों ने चेतावनी दी थी— "जो भी इस मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करता है, उसके जीवन में कुछ असाधारण घटित होता है।"
लेकिन क्या?
अचानक, घंटों की आवाज़ गूँज उठी… और राघव ने जो देखा, उसने उसकी सांसें रोक दीं।
हनुमान जी की कृपा" (Hanuman Ji Ki Kripa)
राघव एक युवा पत्रकार था, जो रहस्यमयी घटनाओं की सच्चाई जानने के लिए पूरे देश में घूमता रहता था। इस बार उसका सफर एक ऐसे प्राचीन मंदिर की ओर था, जिसे "हनुमान सिद्धि धाम" कहा जाता था।
गाँव के लोग कहते थे कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से राम भक्त हनुमान जी की आराधना करता है, उसे दिव्य दर्शन होते हैं।
राघव को इन बातों पर भरोसा नहीं था। उसने सोचा कि यह भी एक अफवाह होगी, लेकिन इस रहस्य को सुलझाने के लिए वह मंदिर पहुँच गया।
वह गर्भगृह के भीतर गया, जहाँ एक विशाल हनुमान मूर्ति स्थापित थी। भगवान के विशाल स्वरूप को देखकर उसके मन में श्रद्धा जाग उठी। उसने सोचा कि एक रात जागरण करके देखना चाहिए कि क्या सच में हनुमान जी दर्शन देते हैं।
उसने आँखें बंद कीं और "श्रीराम जय राम जय जय राम" का जाप करने लगा।
कुछ घंटों तक सब सामान्य था। लेकिन जैसे ही रात का तीसरा पहर आया, मंदिर में अचानक तेज़ हवा चलने लगी। दीपक अपने आप बुझने लगे, और राघव को लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसके आसपास है।
तभी अचानक, मूर्ति से तेज़ प्रकाश निकलने लगा।
राघव की आँखें चौंधिया गईं। उसने जब आँखें खोलीं, तो सामने भगवान हनुमान जी का विराट स्वरूप खड़ा था!
उनका शरीर सोने के समान चमक रहा था, गदा उनके हाथ में थी, और आँखों में अपार करुणा थी। उनका कद इतना विशाल था कि पूरा मंदिर उनसे आलोकित हो गया।
हनुमान जी ने गम्भीर स्वर में कहा—
"वत्स! तू मेरे दर्शन का अधिकारी बन चुका है। तू क्या चाहता है?"
राघव भय और श्रद्धा से कांप उठा। उसकी आँखों में आँसू थे।
"प्रभु! मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि क्या सच में भक्ति से भगवान साक्षात दर्शन देते हैं?"
हनुमान जी मुस्कुराए और बोले—
"सच्चे मन से पुकारो, तो भगवान स्वयं मार्ग दिखाते हैं। परंतु यह केवल परीक्षा के बाद संभव होता है। संसार में विश्वास सबसे बड़ी शक्ति है। जिसने सच्चे मन से राम का नाम लिया, उसके सारे संकट कट जाते हैं।"
राघव को अब सारा सत्य समझ आ चुका था। उसने हनुमान जी के चरणों में गिरकर प्रणाम किया।
हनुमान जी ने आशीर्वाद दिया—
"जाओ, और संसार में राम नाम का प्रचार करो। यह कलियुग है, यहाँ केवल भक्ति ही मोक्ष का द्वार है।"
इतना कहकर हनुमान जी पुनः प्रकाश में लीन हो गए। मंदिर में फिर से शांति छा गई।
राघव को अब किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं थी। उसका संदेह हमेशा के लिए मिट चुका था।
सारांश
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे मन से की गई भक्ति व्यर्थ नहीं जाती। हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए हमें श्रद्धा और विश्वास रखना होगा। जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान का नाम लेता है, उसे अवश्य कृपा प्राप्त होती है।
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