🔱 शिव पार्वती कथा (Shiv Parvati Katha) 🏵️

हिमालय की बर्फीली चोटियों पर एक दिव्य कन्या तपस्या में लीन थी। शीतल हवाएँ उसके चारों ओर बह रही थीं, लेकिन उसकी साधना में कोई कमी नहीं थी। उसकी आँखें बंद थीं, हृदय में एक ही संकल्प था—भगवान महादेव को अपने पति के रूप में प्राप्त करना। यह कोई साधारण तपस्विनी नहीं, बल्कि स्वयं देवी पार्वती थीं, जिनकी कठोर तपस्या पूरी सृष्टि को चकित कर रही थी। देवता भी यह देखकर हैरान थे कि कौन ऐसा है, जो त्रिलोक के स्वामी महादेव को प्रसन्न कर सके। लेकिन पार्वती जी का धैर्य अडिग था, उनकी भक्ति अपार थी। इस कथा में छिपा है प्रेम, तपस्या, और भक्ति का एक अद्भुत संदेश।


शिव पार्वती विवाह की रहस्यमयी कथा 🔥

🔱 शिव पार्वती कथा (Shiv Parvati Katha) 🏵️


पुराणों के अनुसार, पार्वती माता का जन्म राजा हिमावंत और रानी मेना के घर हुआ था। पूर्व जन्म में वे सती थीं, जिन्होंने अपने पिता दक्ष के अपमानजनक व्यवहार के कारण योग शक्ति से अपने शरीर को त्याग दिया था। लेकिन उनका शिव से प्रेम अमर था, इसलिए उन्होंने पुनः पार्वती के रूप में जन्म लिया।

🌿 पार्वती की कठोर तपस्या और शिव की परीक्षा 🔱

पार्वती जी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की। उन्होंने वर्षों तक केवल हवा और पत्तों पर जीवित रहते हुए घोर तप किया। उनकी भक्ति और प्रेम को परखने के लिए भगवान शिव एक बूढ़े साधु का रूप धारण करके आए।

साधु ने पार्वती से पूछा, "हे कन्या! तुम इतनी कठोर तपस्या क्यों कर रही हो?"
पार्वती बोलीं, "मैं भगवान शिव को अपने पति रूप में पाना चाहती हूँ।"

साधु हँसकर बोले, "शिव तो श्मशान में रहने वाले, रुद्राक्ष और भस्म धारण करने वाले, बैल पर विचरण करने वाले योगी हैं। वे गृहस्थ जीवन के योग्य नहीं हैं।"

यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और दृढ़ स्वर में बोलीं, "महादेव ही मेरे सर्वस्व हैं। वे संसार के आदि और अनंत हैं। मैं सदा उन्हीं की हूँ और उन्हीं को पति रूप में प्राप्त करूँगी।"

साधु रूपी भगवान शिव उनकी भक्ति और प्रेम देखकर प्रसन्न हो गए और अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट हुए। उन्होंने माता पार्वती को आशीर्वाद दिया और विवाह के लिए स्वीकार कर लिया।

💍 महादेव और माता पार्वती का भव्य विवाह 🎊

भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तैयारियाँ देवताओं के लिए भी अद्भुत थीं। हिमालय पर एक भव्य आयोजन हुआ। भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी, सभी ऋषि-मुनि और देवता विवाह के साक्षी बने।

भगवान शिव अपने गणों के साथ बारात लेकर आए, लेकिन उनका स्वरूप देखकर सभी स्तब्ध रह गए। वे भूत-प्रेतों के साथ, गले में सर्प, शरीर पर भस्म लगाए हुए आए थे। यह देखकर माता पार्वती की माँ मेना जी घबरा गईं, लेकिन पार्वती जी ने महादेव के वास्तविक स्वरूप को पहचाना।

विवाह के समय भगवान शिव ने अपना दिव्य रूप प्रकट किया, जिससे समस्त ब्रह्मांड उनका तेज देखकर चकाचौंध हो गया। इस प्रकार, शिव और पार्वती का विवाह संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए एक आदर्श बना

🌺 शिव पार्वती विवाह का महत्व

पति-पत्नी के अटूट प्रेम का प्रतीक
अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
नारी शक्ति और भक्ति की महिमा का उदाहरण
भक्तों को सच्चे प्रेम और तपस्या का फल मिलने का संदेश


🔚 निष्कर्ष (Summary) 📜

भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह एक अद्भुत प्रेम और तपस्या की गाथा है। पार्वती जी ने कठोर तपस्या करके शिव जी को अपने पति रूप में प्राप्त किया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि सच्ची भक्ति और प्रेम में अपार शक्ति होती है। उनका विवाह हमें धैर्य, समर्पण, और भक्ति की महत्ता सिखाता है।