एक पुराने गाँव में एक रहस्यमयी घड़ी थी, जो गाँव के बीचोंबीच एक टूटे हुए मंदिर में रखी हुई थी। कहा जाता था कि यह घड़ी समय को रोक सकती है और जो भी उसे छू लेता है, वह अपने अतीत या भविष्य में जा सकता है। लेकिन इस घड़ी को छूने वाला कोई भी व्यक्ति कभी वापस नहीं आया। एक दिन, एक बूढ़े आदमी, रामदास, जो गाँव का सबसे ज्ञानी व्यक्ति था, उस घड़ी के रहस्य को जानने का फैसला करता है। लेकिन जैसे ही वह घड़ी के पास पहुँचता है, उसे एक अजीब सी आवाज सुनाई देती है। क्या वह इस रहस्य को सुलझा पाएगा?
कहानी: समय की घड़ी (The Clock of Time)
रामदास ने गाँव के बुजुर्गों से उस घड़ी के बारे में कई कहानियाँ सुनी थीं। उन्होंने कहा था कि यह घड़ी समय के देवता का उपहार है, लेकिन इसे छूने की कीमत बहुत भारी है। रामदास ने सोचा, "क्या यह सच हो सकता है? क्या वाकई यह घड़ी समय को रोक सकती है?"
अगले दिन, रामदास ने अपने परिवार को बताया कि वह उस घड़ी के पास जाने वाला है। उसके परिवार ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन रामदास का मन पक्का था। वह अपने साथ एक छोटी सी किताब और कुछ खाने का सामान लेकर चल पड़ा।
मंदिर का रास्ता बहुत ही डरावना था। चारों तरफ टूटी हुई मूर्तियाँ और सन्नाटा। रामदास ने मंदिर के अंदर जाकर देखा कि वहाँ एक बड़ी सी घड़ी रखी हुई है। घड़ी इतनी पुरानी थी कि उसके कई हिस्से टूट चुके थे। लेकिन उस घड़ी की सुईयाँ अभी भी चल रही थीं।
अचानक, रामदास को एक आवाज सुनाई दी, "तुम यहाँ क्यों आए हो?" रामदास ने चारों तरफ देखा, लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। फिर वह आवाज फिर से आई, "मैं यहाँ हूँ।" रामदास ने देखा कि एक छोटा सा बच्चा उसके सामने खड़ा है।
बच्चे ने कहा, "तुम यहाँ क्यों आए हो? क्या तुम जानते हो कि इस घड़ी का रहस्य क्या है?" रामदास ने कहा, "मैं सिर्फ यह जानना चाहता था कि यह घड़ी कैसे काम करती है।"
बच्चे ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह घड़ी उन लोगों के लिए है जो सच्चे दिल से किसी चीज़ की तलाश में आते हैं। लेकिन इसे छूने से पहले, तुम्हें एक परीक्षा पास करनी होगी।"
रामदास ने पूछा, "क्या परीक्षा?"
बच्चे ने कहा, "तुम्हें इस मंदिर के तीन रहस्यों को सुलझाना होगा। पहला, तुम्हें इस कमरे के अंधेरे को दूर करना होगा। दूसरा, तुम्हें इस नक्शे के अनुसार मंदिर के सबसे गहरे हिस्से तक पहुँचना होगा। और तीसरा, तुम्हें इस घड़ी को ठीक करना होगा।"
रामदास ने हाँ में सिर हिलाया और बच्चे के साथ चल पड़ा। उसने पहले कार्य के लिए मंदिर की दीवारों पर लगी मोमबत्तियों को जलाकर अंधेरे को दूर किया। दूसरे कार्य के लिए, उसने नक्शे का उपयोग करके मंदिर के सबसे गहरे हिस्से तक पहुँचा। तीसरे कार्य के लिए, उसने घड़ी के टूटे हुए हिस्सों को ठीक किया।
जब उसने घड़ी को ठीक किया, तो उसके सामने एक संदेश लिखा हुआ था: "समय सिर्फ एक भ्रम है। सच्चा समय वह है जो तुम्हारे अंदर है।"
समापन:
रामदास ने सीखा कि सच्चा समय धन या सुख नहीं, बल्कि हमारे अंदर की शांति और संतोष है। वह वापस गाँव लौट आया और उसने सबको अपनी कहानी सुनाई।
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