भगवान की भक्ति और चमत्कार (Bhagwan Ki Bhakti Aur Chamatkar)

गाँव के मंदिर में रोज़ की तरह भजन-कीर्तन हो रहा था। भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी, लेकिन अचानक सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मंदिर के बीचों-बीच खड़ा एक व्यक्ति फूट-फूटकर रो रहा था। उसकी आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। लेकिन यह आँसू दुख के नहीं, बल्कि एक अद्भुत चमत्कार के थे। आखिर ऐसा क्या हुआ था उस भक्त के साथ?


कहानी की शुरुआत:

भगवान की भक्ति और चमत्कार (Bhagwan Ki Bhakti Aur Chamatkar)


प्राचीन काल की बात है। उत्तर भारत के एक छोटे से गाँव में एक सच्चा भक्त रहा करता था, जिसका नाम माधव था। माधव बेहद गरीब था, लेकिन उसका दिल बहुत बड़ा था। वह रोज़ भोर में उठकर अपने छोटे से घर के बाहर तुलसी पूजा करता और फिर पास के भगवान शिव के मंदिर में जाकर घंटों ध्यान लगाता।

गाँव के लोग उसे पागल समझते थे। वे कहते, "माधव, भगवान भक्ति से पेट नहीं भरता! जब भोजन नहीं होगा तो भजन कैसे होगा?" लेकिन माधव हमेशा मुस्कुराकर कहता, "भगवान मेरे साथ हैं, मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं होगी।"

समय बीतता गया, लेकिन माधव की गरीबी जस की तस बनी रही। एक दिन गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। खेत सूख गए, तालाब का पानी भी कम हो गया, और लोगों को भूखा रहना पड़ रहा था। माधव के पास भी खाने को कुछ नहीं था। तीन दिन बीत गए, लेकिन उसने भगवान शिव की पूजा नहीं छोड़ी।

उस रात भूख से बेहाल माधव शिव मंदिर के सामने जा बैठा और प्रार्थना करने लगा, "हे भोलेनाथ! क्या मैं आपकी सच्ची भक्ति के लायक नहीं? क्या आपने मुझे त्याग दिया?"

तभी अचानक मंदिर के अंदर से एक तेज़ रोशनी फैली। माधव की आँखें चौंधिया गईं। उसने देखा कि स्वयं भगवान शिव उसकी ओर देख रहे थे!

भगवान शिव बोले, "माधव, सच्ची भक्ति की परीक्षा कठिन होती है, लेकिन जो मुझ पर अडिग विश्वास रखता है, उसे मैं कभी निराश नहीं करता।"

इतना कहते ही शिवजी अंतर्धान हो गए। माधव ने सोचा कि शायद यह उसका भ्रम था, लेकिन जैसे ही वह मंदिर से बाहर निकला, उसने देखा कि उसके घर के आँगन में ढेर सारे अनाज के बोरे रखे हुए थे! बर्तन में दूध और फल भी रखे हुए थे! माधव को समझ आ गया कि यह भोलेनाथ की कृपा थी।

जब गाँववालों को इस चमत्कार के बारे में पता चला, तो वे भी चकित रह गए। अब वे माधव को "भगवान का प्रिय भक्त" कहने लगे।

माधव ने उस अनाज को केवल अपने लिए नहीं रखा, बल्कि पूरे गाँव में बाँट दिया। उसने कहा, "भगवान की कृपा केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि हर भूखे के लिए है।"

अगले ही दिन गाँव में बारिश हो गई और फसलें फिर से लहलहा उठीं। लोगों की आस्था और बढ़ गई। सबने मिलकर मंदिर में भजन-कीर्तन किया और भगवान शिव को धन्यवाद दिया।


कहानी का सारांश:

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में असीम शक्ति होती है। जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से भगवान की भक्ति करता है, उसकी हर कठिनाई दूर हो जाती है। भगवान अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं, लेकिन कभी उन्हें भूखा नहीं रहने देते।