एक शहर में यज्ञदत्त नामक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बहुत ही सुंदर थी, लेकिन उसका मन अपने पति में नहीं लगा था। वह गुप्त रूप से किसी अन्य व्यक्ति से प्रेम करती थी और उसके लिए रोज़ स्वादिष्ट पकवान बनाकर ले जाती थी। ब्राह्मण को इस पर संदेह होने लगा। उसने कई बार अपनी पत्नी से पूछा, "तुम ये पकवान किसके लिए बनाती हो?" हर बार वह झूठी कहानियाँ बनाकर जवाब देती, "मैं भगवान के लिए भोग बना रही हूँ और मंदिर में चढ़ाने जा रही हूँ।"
संदेह का सच
एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी की सच्चाई जानने का निश्चय किया। वह चुपचाप मंदिर में गया और भगवान की मूर्ति के पीछे छिपकर बैठ गया। कुछ ही देर बाद उसकी पत्नी मंदिर में आई, पूजा की और भगवान से प्रार्थना करने लगी, "हे प्रभु! मेरे पति को अंधा कर दो, ताकि मैं अपने प्रेमी के साथ निर्बाध रह सकूं।"
ब्राह्मण यह सुनकर स्तब्ध रह गया। उसने तुरंत अपनी आवाज़ बदलकर मूर्ति के पीछे से उत्तर दिया, "यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा पति अंधा हो जाए, तो उसे रोज़ मीठे पकवान खिलाओ। कुछ समय बाद उसे मधुमेह हो जाएगा और उसकी आँखों की रोशनी चली जाएगी।"
धोखा और बदला
पत्नी को लगा कि भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली है। वह खुशी-खुशी घर लौटी और रोज़ अपने पति को मीठे पकवान खिलाने लगी। ब्राह्मण को पहले ही सब कुछ पता चल चुका था, इसलिए उसने धीरे-धीरे अंधा होने का नाटक करना शुरू कर दिया। जब पत्नी को विश्वास हो गया कि उसका पति अब पूरी तरह अंधा हो चुका है, तो उसने अपने प्रेमी को निडर होकर घर बुलाने का फैसला किया।
एक दिन जब प्रेमी घर आया, तो ब्राह्मण पहले से ही तैयार बैठा था। जैसे ही वह अंदर आया, ब्राह्मण ने लाठी उठाकर उस पर प्रहार करना शुरू कर दिया। प्रेमी इतनी बुरी तरह घायल हुआ कि उसकी वहीं मृत्यु हो गई। इसके बाद ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को पकड़ लिया और उसके नाक-कान काटकर उसे घर से बाहर निकाल दिया।
शिक्षा:
"विश्वासघात करने वालों का अंत बुरा ही होता है। हमें कभी भी किसी के प्रति बेवफाई और छल-कपट नहीं करना चाहिए, क्योंकि बुराई का नतीजा सदैव बुरा ही होता है।"
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