जूं और खटमल की कहानी (Joon Aur Khatmal Ki Kahani)

बहुत समय पहले की बात है, एक राजा के शयन कक्ष में एक जूं रहती थी। वह वर्षों से राजा का खून चूसकर अपनी भूख मिटाती थी, लेकिन इतनी सावधानी से कि राजा को कभी पता नहीं चला। एक दिन, कहीं से एक खटमल राजा के बिस्तर तक आ पहुंचा।

अजनबी का आगमन

जूं और खटमल की कहानी (Joon Aur Khatmal Ki Kahani)


खटमल को देखकर जूं को बहुत गुस्सा आया। उसने तीखे स्वर में कहा, "अरे खटमल! तू यहां कैसे आ गया? अगर तुझे किसी ने देख लिया, तो तेरे साथ-साथ मैं भी मारी जाऊंगी।"

खटमल मुस्कराते हुए बोला, "जूं बहन! तेरा और मेरा काम एक ही है। हम दोनों इंसानों का खून पीते हैं। तू जिस तरह मेरा अपमान कर रही है, इस तरह तो कोई किसी दुष्ट व्यक्ति का भी नहीं करता।"

खटमल की लालसा

जूं ने उसकी बातों में कोई रुचि नहीं दिखाई और कड़ाई से पूछा, "तू यहां क्यों आया है?"

खटमल ने ठंडी सांस भरते हुए कहा, "मैंने आज तक कई प्रकार के लोगों का खून पिया है, लेकिन कभी किसी राजा का खून नहीं चखा। मुझे लगता है कि राजा का खून अवश्य ही स्वादिष्ट होगा। मैं बस एक बार इसका स्वाद लेना चाहता हूं।"

चालाकी और विश्वासघात

जूं बोली, "सुन खटमल! मैं बहुत सावधानी से राजा का खून पीती हूं, जब वह गहरी नींद में होता है। अगर तूने जल्दबाजी में राजा को काट लिया, तो वह जाग जाएगा और हम दोनों मारे जाएंगे।"

खटमल ने मुस्कान के साथ आश्वासन दिया, "मैं तभी राजा का खून पिऊंगा जब वह पूरी तरह सो जाएगा। मैं वादा करता हूं!"

जूं को खटमल पर भरोसा नहीं था, इसलिए उसने उससे कसम दिलवाई कि पहले वह राजा के सो जाने का इंतजार करेगा और फिर अगले दिन चला जाएगा। खटमल ने जूं की सभी शर्तें मान लीं।

नतीजा

रात में राजा अपने बिस्तर पर आया, दीये बुझाए और सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी। उधर, खटमल अपने लालच को रोक नहीं पा रहा था। राजा को सोया समझकर उसने तुरंत उसे काट लिया।

राजा दर्द से तिलमिला उठा और चौंककर मंत्रियों को बुलाया, "देखो, मेरे बिस्तर में अवश्य कोई जूं या खटमल है जिसने मुझे काटा है!"

सैनिकों ने तत्काल चादरें उठाकर तलाश शुरू कर दी। खटमल पलंग के पायों के जोड़ में छिप गया, लेकिन जूं चादर में ही थी। सैनिकों ने उसे पकड़ लिया और मसलकर मार दिया।

खटमल, जो पूरी समस्या की जड़ था, सुरक्षित बच गया। लेकिन जूं, जिसने उसे आश्रय दिया था, अपने भरोसे का खामियाजा भुगतकर मारी गई।

शिक्षा:

"इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि विरोधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को कभी आश्रय नहीं देना चाहिए और न ही उसकी बातों पर भरोसा करना चाहिए, क्योंकि अंत में उसका नुकसान हमें ही उठाना पड़ता है।"