गाँव की उस संकरी गली में घना अंधेरा छाया हुआ था। ठंडी हवा के झोंके सूखे पत्तों को इधर-उधर उड़ा रहे थे। दूर कहीं एक उल्लू की आवाज़ उस रात के सन्नाटे को और डरावना बना रही थी। गली के कोने में एक पुरानी, जर्जर स्कूटर पड़ी थी, जिस पर धूल की मोटी परत जम चुकी थी। यह वही स्कूटर थी, जिसे दो साल पहले गाँव के समीर ने खरीदा था, लेकिन कुछ ही महीनों बाद वो रहस्यमय तरीके से लापता हो गया।
उस रात, जब सभी अपने घरों में दुबके हुए थे, अचानक एक साया गली में दिखाई दिया। हल्की चाँदनी में उसका अक्स साफ़ नजर नहीं आ रहा था, लेकिन उसकी चाल किसी पहचानी हुई लग रही थी। वो साया धीरे-धीरे स्कूटर के पास आया और अचानक रुक गया। उसने अपने कांपते हुए हाथ से स्कूटर की सीट को छुआ। अगले ही पल, हवा का एक तेज़ झोंका आया और गली में पड़े सूखे पत्ते जोर से उड़ने लगे। तभी…
गायब हुए समीर की वापसी?
स्कूटर के पास खड़ा वो साया कोई और नहीं, बल्कि समीर था। गाँव वालों को यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि समीर दो साल पहले रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया था और अब अचानक उसी स्कूटर के पास खड़ा था, जो उसकी गुमशुदगी के बाद से वहीं पड़ी थी।
समीर का चेहरा पीला पड़ चुका था, आँखों के नीचे गहरे काले घेरे थे, और उसकी आँखों में एक अजीब सी वीरानी थी। गाँव के चौकीदार ने जब उसे देखा तो तुरंत लाठी उठाई और डरते हुए पूछा, "कौन हो तुम? इतनी रात यहाँ क्या कर रहे हो?"
समीर ने धीरे-धीरे अपना सिर उठाया और कहा, "मैं समीर हूँ... वापस आ गया हूँ... लेकिन बहुत देर हो चुकी है…"
चौकीदार की आँखें फटी रह गईं। उसने डरते हुए गाँव के लोगों को बुलाने के लिए घंटी बजाई। कुछ ही मिनटों में लोग इकठ्ठा हो गए।
रहस्य की परतें खुलनी शुरू
समीर को देखकर गाँव वाले अचंभित थे। किसी ने कहा, "ये सच में समीर है? या कोई भूत?"
कोई बोला, "लेकिन दो साल पहले ये अचानक लापता कैसे हो गया था? और अब ये इस हालत में कहाँ से आया?"
समीर की आवाज़ कमजोर थी। उसने कांपते हुए कहना शुरू किया, "मुझे किसी ने बुलाया था… वो मुझे जंगल की ओर ले गए… वहाँ एक पुरानी हवेली है… जहाँ अजीब चीजें होती हैं… मैं वहां से बाहर नहीं निकल पाया… लेकिन आज… आज उन्होंने मुझे छोड़ दिया…"
गाँव में खलबली मच गई। हवेली का नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप गई। वो हवेली पिछले कई सालों से वीरान पड़ी थी, और लोगों का मानना था कि वहाँ कुछ अनहोनी होती है।
धुंधकर हवेली का राज
गाँव के बुजुर्गों ने बताया कि वह हवेली कई साल पहले ठाकुर जयसिंह की थी, जो अचानक एक दिन अपनी पूरी फैमिली के साथ गायब हो गया था। तब से वहाँ अजीब घटनाएँ होती थीं – रात को चीखने की आवाजें आती थीं, अंधेरे में साए घूमते दिखते थे।
लेकिन समीर वहाँ कैसे पहुँचा? और वो कौन थे जिन्होंने उसे वहाँ कैद कर रखा था?
गाँव के कुछ नौजवानों ने तय किया कि वे इस रहस्य से पर्दा उठाएँगे। वे जलती मशालें लेकर समीर के साथ उस हवेली की ओर बढ़े। हवेली के दरवाजे टूटे हुए थे, और अंदर घना अंधेरा था। समीर ने काँपते हुए इशारा किया, "यहीं… यहीं मुझे रखा गया था…"
तभी अचानक हवेली के अंदर से एक खौफनाक आवाज़ आई, "वापस चले जाओ… वरना…!"
खौफनाक सच
लोगों की रूह काँप गई। लेकिन गाँव के मुखिया ने हिम्मत दिखाई और अंदर बढ़े। उन्होंने देखा कि हवेली के तहखाने में ज़मीन के नीचे एक गुप्त दरवाजा था। जब उन्होंने उसे खोला, तो वहाँ एक अंधेरी सुरंग थी।
जैसे ही वे आगे बढ़े, उन्हें कुछ पुराने कपड़े और टूटे-फूटे सामान मिले। तभी एक ज़ोरदार धमाका हुआ और सुरंग की दीवार हिलने लगी। सभी घबराकर बाहर भागे।
समीर ने डरते हुए कहा, "यहाँ कुछ भयानक छुपा हुआ है… हमें जाना होगा…!"
गाँव वालों ने तय किया कि वे इस हवेली को फिर से बंद कर देंगे और कभी वापस नहीं आएँगे। लेकिन रहस्य अब भी बरकरार था – दो सालों तक समीर वहाँ कैसे जिंदा रहा? और वह कौन था जिसने उसे छोड़ा?
शायद, यह राज हमेशा के लिए धुंध में ही खो जाएगा…
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