रात के घने अंधेरे में जंगल की खामोशी अजीब सी लग रही थी। अचानक, पास के पहाड़ से एक ज़ोरदार गर्जना सुनाई दी, जैसे कोई दिव्य शक्ति प्रकट हो रही हो। गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि इस पहाड़ी पर एक रहस्यमयी गुफा है, जहाँ हजारों वर्षों से कोई अनदेखी शक्ति वास करती है। लेकिन कोई भी अब तक यह नहीं जान पाया था कि वह शक्ति कौन है। कुछ लोगों का मानना था कि वहाँ स्वयं हनुमान जी का आशीर्वाद है, तो कुछ इसे मात्र एक किंवदंती मानते थे। परंतु, इस रहस्य का पर्दाफाश करने की हिम्मत आज तक किसी ने नहीं की थी।
हनुमान गुफा का रहस्य (Hanuman Gufa Ka Rahasya)
गाँव के एक युवा, विवेक, को बचपन से ही धार्मिक ग्रंथ पढ़ने का शौक था। वह रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनकर बड़ा हुआ था और हनुमान जी के प्रति उसकी अपार श्रद्धा थी। जब उसने पहाड़ी पर मौजूद रहस्यमयी गुफा की कहानी सुनी, तो उसकी जिज्ञासा और बढ़ गई। उसने ठान लिया कि वह स्वयं इस रहस्य को उजागर करेगा।
एक दिन विवेक ने अपनी माँ से अनुमति माँगी, लेकिन उन्होंने उसे सख्ती से मना कर दिया। "बेटा, यह कोई साधारण स्थान नहीं है। जो वहाँ गया, वह कभी लौटकर नहीं आया," माँ ने चिंतित स्वर में कहा। लेकिन विवेक की श्रद्धा और जिज्ञासा उसे रोक नहीं पाई।
अगली सुबह सूरज निकलते ही विवेक अपनी लकड़ी की माला और एक दीपक लेकर पहाड़ी की ओर निकल पड़ा। जैसे-जैसे वह ऊपर चढ़ रहा था, उसे महसूस हो रहा था कि हवा भारी होती जा रही है। एक अजीब सी शांति पूरे वातावरण में थी, मानो कोई अदृश्य शक्ति उसकी परीक्षा ले रही हो।
जैसे ही वह गुफा के द्वार पर पहुँचा, उसे अंदर से हनुमान चालीसा की मधुर ध्वनि सुनाई दी। यह कैसे संभव था? यहाँ तो कोई नहीं रहता! विवेक ने हिम्मत जुटाई और अंदर प्रवेश किया। गुफा के अंदर एक विशाल मूर्ति थी—हनुमान जी की, उनकी आँखें चमक रही थीं और उनके पैरों के पास एक जलता हुआ दीपक रखा था, जो बिना किसी बाती या तेल के जल रहा था।
अचानक, हवा में एक दिव्य आभास हुआ, और विवेक ने महसूस किया कि कोई शक्ति उसके सामने प्रकट हो रही है। उसने आँखें बंद कर लीं और मन ही मन "जय श्री राम" का उच्चारण किया। जब उसने आँखें खोलीं, तो उसे अपने सामने एक तेजस्वी वृद्ध महापुरुष खड़े दिखाई दिए।
"वत्स, तुम यहाँ किस उद्देश्य से आए हो?" उन्होंने गंभीर स्वर में पूछा।
विवेक ने हाथ जोड़कर कहा, "महाराज, मैं जानना चाहता हूँ कि इस गुफा का रहस्य क्या है? यह दिव्य प्रकाश, यह जलता हुआ दीपक—यह सब क्या संकेत देते हैं?"
महापुरुष मुस्कुराए और बोले, "यह स्थान हनुमान जी की तपस्या स्थली है। त्रेतायुग में, जब भगवान श्रीराम की विजय हुई थी, तब हनुमान जी ने यहाँ आकर ध्यान किया था। इस गुफा में उनकी शक्ति का अंश समाया हुआ है, और जो भी सच्चे मन से यहाँ आता है, उसे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।"
विवेक की आँखों में श्रद्धा के आँसू आ गए। उसने प्रण किया कि वह इस स्थान की रक्षा करेगा और यहाँ रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करेगा।
गाँव लौटने के बाद विवेक ने सभी को इस गुफा के बारे में बताया। पहले तो किसी ने विश्वास नहीं किया, लेकिन जब कुछ बुजुर्गों ने वहाँ जाकर दिव्य शक्ति का अनुभव किया, तो धीरे-धीरे यह स्थान एक तीर्थ स्थल बन गया। अब हर मंगलवार और शनिवार को लोग वहाँ हनुमान चालीसा का पाठ करने आते और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते।
कहानी का सारांश:
विवेक, जो हनुमान जी के प्रति अपार श्रद्धा रखता था, रहस्यमयी गुफा के रहस्य को जानने के लिए वहाँ गया। वहाँ उसे हनुमान जी की दिव्य शक्ति का अनुभव हुआ और एक संत ने उसे बताया कि यह गुफा हनुमान जी की तपस्या स्थली थी। विवेक ने इस पवित्र स्थान की रक्षा करने और इसे भक्तों के लिए खोलने का प्रण लिया, जिससे यह स्थान एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बन गया।
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