बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम विक्रम था। विक्रम की आँखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसका मन हमेशा सवालों से भरा रहता था। उसकी माँ उसे हमेशा समझाती रहती थी कि कुछ बातें नहीं पूछनी चाहिए, लेकिन विक्रम की जिज्ञासा कभी शांत नहीं होती थी।
विक्रम का मानना था कि कोई भी सवाल बिना जवाब के नहीं रहना चाहिए। गाँव में लोग अक्सर उसे चिढ़ाते थे कि वह बहुत ज्यादा सवाल पूछता है, लेकिन विक्रम को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह अपने सवालों के साथ किसी न किसी सच्चाई तक जरूर पहुँचता था।
एक दिन विक्रम खेलते-खेलते गाँव के पास स्थित पुराने किले के पास पहुंच गया। किला बहुत पुराना और खंडहर जैसा दिखता था। वहाँ पर लोग जाने से डरते थे, क्योंकि वहाँ पर रात के समय अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थीं। लेकिन विक्रम की जिज्ञासा उस डर से कहीं बड़ी थी।
विक्रम ने देखा कि किले के भीतर से एक हल्की सी आवाज आ रही थी, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। उसे यह आवाज बहुत अजीब लगी, क्योंकि दिन के उजाले में ऐसी आवाजें सुनना असामान्य था। विक्रम ने सोचा कि यह कोई भूत-प्रेत की आवाज हो सकती है, लेकिन उसने अपने डर को नजरअंदाज कर दिया और किले के पास जाने का मन बनाया।
कहानी का मुख्य भाग:
विक्रम ने धीरे-धीरे किले के भीतर जाने का रास्ता पकड़ा। किले के दरवाजे में घुसते ही एक ठंडी हवा ने उसे घेर लिया। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे किले में कोई छुपा हो, जो उसे देख रहा हो। विक्रम ने सोचा कि वह बस किसी ने कोई फालतू आवाज की होगी, लेकिन फिर से वही आवाज आई।
यह आवाज अब स्पष्ट हो गई थी। वह आवाज एक आदमी की थी, जो किसी से कुछ कह रहा था। विक्रम ने जिज्ञासा से आवाज के स्रोत की ओर बढ़ने का फैसला किया। जैसे ही वह किले के अंदर और गहरे भाग में घुसा, उसकी आँखों के सामने एक पुराने कमरे का दरवाजा खुला।
विक्रम ने देखा कि कमरे में एक बूढ़ा आदमी बैठा था। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वह किसी खतरनाक राज को जानता हो। वह आदमी विक्रम को देखकर चुप हो गया और फिर धीरे से मुस्कराया।
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" आदमी ने पूछा।
विक्रम ने डरते हुए कहा, "मुझे बस आवाज सुनाई दी थी, मैं बस देखना चाहता था कि यहाँ क्या हो रहा है।"
आदमी हंसा और बोला, "तुम्हें नहीं पता कि तुम किस खतरे में हो। यह किला सिर्फ पुराने समय का नहीं है, इसमें कई राज छुपे हुए हैं।"
विक्रम का मन बहुत घबराया, लेकिन वह उस आदमी से सवाल पूछने का साहस जुटा चुका था। "क्या आप मुझे वह राज बता सकते हैं?"
आदमी चुप रहा और फिर उसकी आँखों में कुछ ऐसा था, जैसे वह विक्रम को परख रहा हो। वह बोला, "यहाँ एक पुराना खजाना छिपा है, लेकिन इसे प्राप्त करना किसी के लिए भी आसान नहीं है। जो भी यहाँ खजाने का पीछा करता है, वह कभी भी वापस नहीं आता।"
विक्रम का मन और भी अधिक जिज्ञासु हो गया। उसने सोचा कि शायद यही वह मौका है, जब वह इस किले का सबसे बड़ा राज जान सकता है।
विक्रम ने आदमी से पूछा, "क्या आप मुझे वह खजाना ढूँढने में मदद करेंगे?"
आदमी ने एक लंबी साँस ली और फिर विक्रम को उसकी ओर इशारा किया। "तुम्हें वह खजाना तो मिलेगा, लेकिन उसका मतलब तुम्हारी ज़िंदगी से होगा।"
अंत और नैतिक शिक्षा:
कहानी के इस मोड़ पर विक्रम को एक बड़ा फैसला लेना था। क्या वह खजाना प्राप्त करने के लिए उस खतरे को मोल लेगा, या फिर उसे समझदारी से इस रहस्य को छोड़ देगा?
आखिरकार विक्रम ने निर्णय लिया कि वह खजाने के पीछे नहीं भागेगा। उसने समझ लिया कि कभी-कभी कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें हमें जाने देना चाहिए। खजाना तो एक आकर्षण था, लेकिन असली खजाना उसका जीवन और उसका परिवार था।
उसने उस बूढ़े आदमी का धन्यवाद किया और किले से बाहर आकर अपने घर की ओर रुख किया।
नैतिक शिक्षा: कभी-कभी हमें अपने लालच और जिज्ञासा पर काबू पाना चाहिए, क्योंकि जो चीज़ हमें आकर्षित करती है, वह हमेशा हमारे लिए सही नहीं होती।
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