निष्ठा और विश्वास (Nishtha Aur Vishwas)

गाँव में एक ऐसी घटना घटी, जिसने सभी को हैरान कर दिया। श्रीकृष्ण के मंदिर में अचानक अजीब घटनाएँ घटने लगीं। लोग कहते थे कि वहाँ कोई अदृश्य शक्ति है, जो उनका पीछा कर रही है। एक रात, मंदिर के पुजारी के साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसे वह जीवनभर नहीं भूल सके। क्या भगवान श्री कृष्ण खुद मंदिर में प्रकट हुए थे? या फिर कोई और रहस्य था? पुजारी को इस रहस्य को सुलझाने के लिए किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा? आइए जानें।


निष्ठा और विश्वास (Nishtha Aur Vishwas)

निष्ठा और विश्वास (Nishtha Aur Vishwas)


गाँव में श्री कृष्ण का मंदिर था, जहाँ लोग अपनी पूजा अर्चना करने आते थे। पुजारी हर दिन सुबह और शाम भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते थे और भक्तों को आशीर्वाद देते थे। इस मंदिर में एक अजीब सी शांति और दिव्यता थी, जो हर किसी को आकर्षित करती थी। लेकिन कुछ समय से, मंदिर में विचित्र घटनाएँ होने लगी थीं।

एक रात, पुजारी जी मंदिर में दीपक जलाकर पूजा कर रहे थे। अचानक, एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ और दीपक की लौ बुझ गई। वह चौंके, क्योंकि मंदिर में कोई खिड़की या दरवाजा नहीं खुला था, फिर यह हवा कहाँ से आई? पुजारी ने सोचा कि शायद यह कोई साधारण बात नहीं हो सकती।

अगले दिन जब वह पूजा कर रहे थे, तो मंदिर के कपाट अपने आप खुल गए। पुजारी घबराए हुए थे, क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। फिर एक दिन जब पुजारी ने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की, तो उन्होंने अपनी आँखों के सामने एक अद्भुत दृश्य देखा। भगवान श्री कृष्ण स्वयं मंदिर में प्रकट हुए। उनका रूप दिव्य और शांत था। पुजारी की आँखों में आँसू थे, और वह भगवान के सामने सिर झुका दिए।

भगवान श्री कृष्ण ने पुजारी से कहा, "तुम्हारी निष्ठा और विश्वास ने मुझे यहाँ बुलाया है। तुमने मेरी पूजा सच्चे मन से की है, और मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। अब इस गाँव को कोई संकट नहीं छुएगा, क्योंकि तुमने मुझे पूरी श्रद्धा से पूजा है।"

भगवान श्री कृष्ण की इस कृपा ने पुजारी को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने न केवल भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा को और गहरा किया, बल्कि वह गाँववालों को भी भगवान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा की महिमा समझाने लगे। उन्होंने गाँव में एक बड़ा यज्ञ आयोजन किया, जिसमें हर कोई भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में भागीदार बना।

वह रात भगवान के प्रकट होने के बाद से गाँव में कोई संकट नहीं आया। लोग हमेशा श्री कृष्ण के प्रति आस्था और निष्ठा रखने लगे। पुजारी के दिल में भगवान की कृपा की एक गहरी भावना थी, और उन्होंने पूरी ज़िन्दगी भगवान की भक्ति में समर्पित कर दी।


कहानी का सारांश:

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और निष्ठा सच्चे दिल से रखते हैं, तो भगवान हमारे जीवन में प्रकट होते हैं और हमारे रास्ते को रोशन करते हैं। भगवान की कृपा से हर संकट समाप्त हो जाता है और विश्वास की शक्ति से हम किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।